RBI Guidelines for 500 rupees note: भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक नागरिक को अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भारतीय मुद्रा की आवश्यकता होती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा के प्रबंधन और नोटों की छपाई का कार्य करता है। वर्तमान समय में जहां एक ओर महंगाई बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर नोटों की छपाई की लागत भी निरंतर बढ़ती जा रही है।
मुद्रण की प्रक्रिया और स्थान
भारत में मुद्रा की छपाई चार विशेष प्रेस में की जाती है। इनमें से दो प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक के नियंत्रण में हैं, जो मैसूर और सालबोनी में स्थित हैं। अन्य दो प्रेस केंद्र सरकार के अधीन हैं, जो नासिक और देवास में स्थित हैं। ये सभी प्रेस अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा मानकों के साथ कार्य करते हैं।
छोटे मूल्यवर्ग के नोटों की छपाई लागत
दस रुपये के नोट की छपाई की लागत लगभग एक रुपया है। वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, दो हजार नोट छापने में 1920 रुपये का खर्च आया, जिससे प्रति नोट लागत 96 पैसे आई। बीस रुपये के नोट की छपाई में प्रति नोट 95 पैसे का खर्च आता है। इस प्रकार दो हजार नोट छापने में 1900 रुपये की लागत आती है।
मध्यम मूल्यवर्ग के नोटों का खर्च
पचास रुपये के नोट की छपाई में प्रति नोट लगभग 1.14 रुपये का खर्च आता है। सौ रुपये के नोट की छपाई लागत बढ़कर 1.75 रुपये प्रति नोट हो जाती है। यह वृद्धि नोट में प्रयुक्त सुरक्षा विशेषताओं और गुणवत्तापूर्ण कागज के कारण होती है।
उच्च मूल्यवर्ग के नोटों की लागत
दो सौ रुपये का नोट छापने में आरबीआई को प्रति नोट 2.37 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। सबसे अधिक लागत 500 रुपये के नोट की छपाई में आती है, जो प्रति नोट 2.57 रुपये है। यह उच्च लागत नोट में प्रयुक्त विशेष सुरक्षा विशेषताओं, उच्च गुणवत्ता वाले कागज और जटिल मुद्रण प्रक्रिया के कारण है।
सिक्कों की ढलाई और लागत का तुलनात्मक विश्लेषण
सिक्कों की ढलाई की लागत नोटों की छपाई से अधिक होती है। फिर भी आरबीआई सिक्के बनाता है क्योंकि इनकी आयु कागजी नोटों से अधिक होती है। कागजी नोट जल्दी खराब हो जाते हैं और उन्हें पुनः छापना पड़ता है, जिससे दीर्घकालिक लागत बढ़ जाती है।
आर्थिक प्रभाव और चुनौतियां
मुद्रा छपाई की बढ़ती लागत अर्थव्यवस्था पर दबाव डालती है। महंगाई के वर्तमान दौर में यह एक अतिरिक्त चुनौती है। आरबीआई को गुणवत्ता और लागत के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। नोटों की सुरक्षा विशेषताओं में कोई समझौता नहीं किया जा सकता, जिससे लागत नियंत्रण की चुनौती और बढ़ जाती है।
भविष्य की संभावनाएं
डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन से भविष्य में नकदी के प्रयोग में कमी आ सकती है। हालांकि, भारत जैसे विशाल देश में नकदी का महत्व अभी लंबे समय तक बना रहेगा। इसलिए मुद्रा छपाई की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने की आवश्यकता है।
मुद्रा छपाई एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। उच्च मूल्यवर्ग के नोटों, विशेषकर 500 रुपये के नोट की छपाई में आने वाली अधिक लागत एक चिंता का विषय है। आरबीआई को इस चुनौती से निपटने के लिए नवीन तकनीकों और प्रक्रियाओं की खोज करनी होगी, जिससे गुणवत्ता प्रभावित किए बिना लागत को नियंत्रित किया जा सके।